प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Friday, May 28, 2010

शिशु कविता- बिल्ली / दीनदयाल शर्मा

शिशु कविता-

 बिल्ली / दीनदयाल शर्मा 




बिल्ली 

बिल्ली आई बिल्ली आई 
पूँछ हिलाती बिल्ली आई

देखो दीदी देखो भाई 
मूंछ हिलाती बिल्ली आई 

चुपके चुपके बिल्ली आई
खा गई सारी रस मलाई.

- दीनदयाल शर्मा 

1 comment:

  1. बिल्ली पर लिखी कविता याद करने वाले बच्चों को बिल्ली नहीं डराती. बिल्ली आगे-पीछे म्याऊँ-म्याऊँ करती घूमती है. विश्वास ना हो तो याद करके देखें.

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