प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, May 30, 2010

दीनदयाल शर्मा की कविता - बचपन




बचपन


बच्चों को देखकर 
याद आता है बचपन
कितना भोला है बचपन
कितना नादां है बचपन।


कभी पतंग उड़ाना
डोर थामना-थमाना
कभी गुब्बारे उड़ाना
कभी आइस्क्रीम खाना


वो लड़ता हुआ बचपन
झगड़ता हुआ बचपन
शिकायतों का पुलंदा
सुनाता हुआ बचपन।


कंचों की गोली पर
साधता निशाना
कभी रेत के धोरों पर
गाता तराना।


कभी बरखा में नहाना
कीचड़ में भर जाना
कभी रूठ कर सो जाना
याद आता है बचपन।


कभी छिपना-छिपाना
कभी ब्याह रचाना
नए कपड़े पहन 
बार-बार इतराना


कभी सीटी बजाना
कभी ताली बजाना
कभी कमर मटकाना
याद आता है बचपन।


हो ,, कह कर डराना
कभी चिढऩा-चिढ़ाना
कभी आंखें दिखाना
कभी अंगूठा दिखाना


कभी स्कूल चले जाना
कभी घर भाग आना
कभी खेत चले जाना
याद आता है बचपन।


कभी पिताजी के कंधे बैठ
मेले में जाना
कभी चश्मा लगाना
कभी अळगोजे बजाना


कभी लकड़ी की कार में 
फोटो खिंचवाना
कभी झूलों में बैठ
आसमान छू कर आना।


ऐसा था बचपन
दीवाना था बचपन
बच्चों को देखकर 
याद आता है बचपन।

2 comments:

  1. कितना सरल है बचपन
    आपने केवल क्रियाओं के सहारे इतने चित्र खींच दिए और ये सारी-की सारी क्रियाएँ बचपन के विशेषण बन गए.
    [पतंग] उड़ाना / [डोर] थामना-थमाना / [गुब्बारे] उड़ाना / [आइस्क्रीम] खाना / साधता [निशाना] / गाता [तराना] / [बरखा में] नहाना / [कीचड़ में] भर जाना / [रूठ कर] सो जाना / छिपना-छिपाना / ब्याह रचाना / [बार-बार] इतराना / [सीटी] बजाना / [ताली] बजाना / [कमर] मटकाना / [हो)) कह कर] डराना / चिढऩा-चिढ़ाना / [आंखें] दिखाना / [अंगूठा] दिखाना / [स्कूल] चले जाना / [घर] भाग आना/ [खेत] चले जाना / [मेले] में जाना / [चश्मा] लगाना / [अळगोजे]* बजाना / [फोटो] खिंचवाना / [झूलों में बैठ आसमान] छू कर आना
    सभी क्रियाएँ बचपन के विशेषण.
    प्रश्न : 'अलगोजे' शब्द सुना हुआ है. अर्थ अभी तक करीब नहीं. कृपया करीब करें.

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  2. SHANDAR KAVITA MERI KAVITA SE THODI MILTI JULTI HI YE BACHPAN KI KAVITA MERI RACHNA BACHPAN AWASHY PADHEN

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