उल्लू होता सबसे न्यारा,
दिखे इसे चाहे अँधियारा ।
लक्ष्मी का वाहन कहलाए,
तीन लोक की सैर कराए ।
हलधर का यह साथ निभाता,
चूहों को यह चट कर जाता ।
पुतली को ज्यादा फैलाए,
दूर-दूर इसको दिख जाए ।
पीछे भी यह देखे पूरा,
इसको पकड़ न पाए जमूरा ।
जग में सभी जगह मिल जाता,
गिनती में यह घटता जाता ।
ज्ञानीजन सारे परेशान,
कहाँ गए उल्लू नादान।।
प्यारा कुत्ता
मेरा प्यारा कुत्ता कालू ।
बालों से लगता है भालू ।।
प्यार करे तो पूँछ हिलाए ।
पैरों में लमलेट हो जाए ।।
दिन में सोता रहता हरदम ।
पूरी रात न लेता है दम ।।
खड़के से चौकस हो जाए ।
इधर-उधर नजरें दौड़ाए ।।
चोरों पर यह पड़ता भारी ।
सच्ची सजग है चौकीदारी ।।
मधुमक्खी
मधुमक्खी कितनी प्यारी तुम ।
मेहनत से न डरती हो तुम ।।
फूलों से रस चूस-चूस कर ।
कितना मीठा शहद बनाती ।।
भांति-भांति के फूलों पर तुम ।
सुबह-सवेरे ही मंडराती ।।
वैद्य और विद्वान तुम्हारे ।
मधु के गुण गाते हैं सारे ।।
ख़ुद न चखती खाती हो तुम ।
मधुमक्खी मुझे भाती हो तुम ।।