उल्लू होता सबसे न्यारा,
दिखे इसे चाहे अँधियारा ।
लक्ष्मी का वाहन कहलाए,
तीन लोक की सैर कराए ।
हलधर का यह साथ निभाता,
चूहों को यह चट कर जाता ।
पुतली को ज्यादा फैलाए,
दूर-दूर इसको दिख जाए ।
पीछे भी यह देखे पूरा,
इसको पकड़ न पाए जमूरा ।
जग में सभी जगह मिल जाता,
गिनती में यह घटता जाता ।
ज्ञानीजन सारे परेशान,
कहाँ गए उल्लू नादान।।
प्यारा कुत्ता
मेरा प्यारा कुत्ता कालू ।
बालों से लगता है भालू ।।
प्यार करे तो पूँछ हिलाए ।
पैरों में लमलेट हो जाए ।।
दिन में सोता रहता हरदम ।
पूरी रात न लेता है दम ।।
खड़के से चौकस हो जाए ।
इधर-उधर नजरें दौड़ाए ।।
चोरों पर यह पड़ता भारी ।
सच्ची सजग है चौकीदारी ।।
मधुमक्खी
मधुमक्खी कितनी प्यारी तुम ।
मेहनत से न डरती हो तुम ।।
फूलों से रस चूस-चूस कर ।
कितना मीठा शहद बनाती ।।
भांति-भांति के फूलों पर तुम ।
सुबह-सवेरे ही मंडराती ।।
वैद्य और विद्वान तुम्हारे ।
मधु के गुण गाते हैं सारे ।।
ख़ुद न चखती खाती हो तुम ।
मधुमक्खी मुझे भाती हो तुम ।।
bahut umdha :))
ReplyDeleteकित्ती प्यारी रचनाएँ..एक से बढ़कर एक.
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'पाखी की दुनिया' में 'कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी' जरुर देखें !
Deen dayal ji namaskar, aapki kavitayen hindi bhasha me ek sarahniye kadam hai.any how I could catch up your blog,that's very very nice.I follow your blog.I have grand children they will like your poems surely.you can visit my blog also.keep writing.
ReplyDeleteNIce....Congts !!
ReplyDeleteBahut deno ke baad aap ke blog par aayee hoon. Bahut acchee kavitayen likhee hain. Ek se badd kar ek.
ReplyDeleteKya kehna aap ke likhne ke andaz ka...
wah ! wah!
अब आपके बीच आ चूका है ब्लॉग जगत का नया अवतार www.apnivani.com
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धनयवाद ...
bahut acchii kavitaayen
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