प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Friday, June 18, 2010

बूझो तो जाने / दीनदयाल शर्मा

बड़े हों या छोटे...पहेलियाँ सबको अच्छी लगती है...पंजाब की डॉ. हरदीप संधू..ने अपने ब्लॉग  शब्दों का उजाला  में पहेलियाँ दे रखी हैं...जो बहुत ही रोचक हैं...उनकी प्रेरणा से मैं अपनी बनाई पहेलियाँ यहाँ दे रहा हूँ...आप   इन सभी बीस पहेलियों के अर्थ बताएं...आपके बताये उत्तर  सभी का ज्ञान बढ़ाएंगे...साथ में रोचकता भी बनी रहेगी...आपके उत्तर की प्रतीक्षा है...आपका शुभेच्छु....दीनदयाल शर्मा 



1.
फ़िल्में, गीत, ख़बर और नाटक
रोज़ हमें दिखलाता ।
सीसे का छोटा सा बक्सा,
बोलो क्या कहलाता ?

2.
ठंडी-ठंडी दूध और जल से,
जमी है चपटी-गोल ।
सारे बालक मचल उठें सुन,
इसके मीठे बोल ।।

3.
अफ़सर, नेता सबको भाती,
चौपाई बिन प्राण ।
उसको पाने की ख़ातिर सब,
अपने हैं अनजान ।।

4.
तिल-तिल करके जलती है जो,
फैलाती उजियारा ।
उसके मिट जाने से मिटता,
भीतर का अँधियारा ।।

5.
चरणों में जो रहता हरदम,
सेवक सीधा-सादा।
बदमाशों का करे ख़ातमा,
दादों का भी दादा।।

6.
दबे पाँव जो घर में आती,
दूध मलाई चट कर जाती ।
म्याऊँ-म्याऊँ करती है जब,
चूहों में भगदड़ मच जाती ।।

7. 
ढेरों शब्द संजोए जिसमें,
सबके अर्थ अनेक ।
सब भाषाओं में मिलती है,
दुनिया में अतिरेक ।।

8.
'चाय' शब्द के भीतर दिखती,
और दिखूँ 'बिग-बी' के साथ ।
घर का पहरेदार पति है,
मेरी आज्ञा से तैनात ।।

9.
दिखने में छोटी सी होती,
गज़ब भरा है ज्ञान ।
पढ़कर इसको बन सकते हम,
बहुत बड़े विद्वान ।।

10.

टी०वी० से पहले थे जिसके,
सारे लोग दीवाने ।
हर घर में शोभा थी जिससे,
सुनते ख़बरें गाने ।।

11.
खड़ा-खड़ा जो सेवा करता,
सबका जीवनदाता ।
बिन जिसके न बादल आएँ,
बोलो क्या कहलाता ?

12.
ऊँचा-ऊँचा जो उड़े,
न बादल न चील ।
कभी डोर उसकी खिंचे,
कभी पेच में ढील ।।

13.
रंग-रंगीला रूप है जिसका,
फूलों पर मँडराती ।
पंख हिलाती प्यार बाँटती,
सबका मन बहलाती ।।

14.
सारा तन बालों से ढकता,
नाच तुम्हें दिखलाए ।
शहद मिले तो पेड़ों पर वह
उल्टा ही चढ़ जाए ।।

15.
दुपहिया पतली सी गाड़ी,
प्रदूषण से दूर है ।
तन को कसरत करवाती है,
इस पर हमें गरूर है ।।

16.
आज़ादी का अमर सिपाही,
ख़ुद को गोली मारी ।
अँग्रेज़ों के हाथ न आया,
आज़ादी थी प्यारी ।।

17.
नारी के कल्याण की खातिर,
जग में जोत जगाई ।
ब्रह्म समाज थरपाया जिसने,
चेतनता फैलाई ।।

18.
अटल खड़े हैं सरहद पर जो,
देश के पहरेदार ।
जंग छिड़े तो हो जाते हैं
भिड़ने को तैयार ।।

19.
भारत देश की शान है जिससे,
तीन रंगों का प्यारा ।
नीले रंग का चक्र बीच में,
सबकी आँख का तारा ।।

20.
गोल-गोल अग्नि का गोला,
कहलाता जो तारा ।
उसके दिखने से होता है,
हर घर में उजियारा ।।

6 comments:

  1. दीनदयाल जी,
    आप का अपने परिवार के साथ 'शब्दों का उजाला' बलाग पर आना बहुत ही अच्छा लगा ।

    उस से बढ़ कर पहेलियों के उत्तर ढूँढने के लिए जो उतसाह आप ने और आप के घर वालों ने दिखाया है वो प्रशंसनीय लगा ।

    आप की लिखी पहेलियाँ पढ़ी....
    बहुत खूब लिखा है.....

    मैं ने भी अपने बच्चों से आप की पहेलियाँ बूझने को कहा

    कुछ के उत्तर देने का एक छोटा सा प्रयास हम सब ने मिल कर किया है।

    ReplyDelete
  2. बाल साहित्य के क्षेत्र में आप सतत सक्रियता वाकई प्रशंसनीय है । इन पहेलियों में आपका श्रम परिलक्षित होता है। आपको ढेरों बधाई.

    ReplyDelete
  3. मेरी बेटी सुप्रीत जो ग्यारा वर्ष की है, ने कुछ पहेलियों के उत्तर दिएँ है.....
    1. टी.वी.
    2. कुलफी
    6. बिल्ली
    13.तितली
    14. भालू
    18. फौजी
    19. तिरंगा झन्डा
    20.सूरज

    ReplyDelete
  4. मेरा बेटा सुमीत (आयु- 16 वर्ष)ने भी पहेलियाँ बुझाने का प्रयास किया है.....
    3. कुरसी
    7. डिक्शनरी
    9. किताब
    10. रेडिओ
    11.आकाश
    12.पतंग
    15.साईकल
    16.चन्द्र शेखर आज़ाद

    ReplyDelete
  5. आठवीं पहेली का उत्तर है.....चाबी ...इस पोस्ट के सभी टिप्पणी दाताओं और पहेली उत्तरदाताओं का ह्रदय से आभार...इसी तरह ब्लॉग पर आते रहें..और अपने अनमोल विचारों से हमारा हौसला बढ़ाते रहें....कृपया मेरे दूसरे ब्लोग्स पर भी पधारें...सूची इसी ब्लॉग में है...आपका शुभेच्छु...दीनदयाल शर्मा

    ReplyDelete
  6. sar ji itni sari paheliyan ek sath.dimag ka dahi kar diya.

    ReplyDelete

हिन्दी में लिखिए