बारिश का मौसम / दीनदयाल शर्मा
बारिश का मौसम है आया।
हम बच्चों के मन को भाया।।
'छु' हो गई गरमी सारी।
मारें हम मिलकर किलकारी।।
कागज की हम नाव चलाएं।
छप-छप नाचें और नचाएं।।
मजा आ गया तगड़ा भारी।
आंखों में आ गई खुमारी।।
गरम पकौड़ी मिलकर खाएं।
चना चबीना खूब चबाएं।।
गरम चाय की चुस्की प्यारी।
मिट गई मन की खुश्की सारी।।
बारिश का हम लुत्फ उठाएं।
सब मिलकर बच्चे बन जाएं।।
"बहुत सुन्दर कविता और आपकी प्यारी बिल्ली वाकई में प्यारी है..."
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteमज़ा आ गया
गरम चाय की चुस्की
और...
गरम पकौड़ी
wonderful!!
ReplyDeleteवैसे बाल काव्य की फुहारों से आप तो हर मौसम में ही बारिश करते रहते हैं. लेकिन इस बार
ReplyDeleteअंतिम पंक्तियों में गरम पकोड़ियों को आपने चाय से अलग करके ठीक नहीं किया. गरम पकोड़ियों के साथ चना-चबेने को परोसना मुझ जैसे बड़े बच्चों को जँच नहीं रहा.
अच्छी अभिब्यक्ति |बधाई
ReplyDeleteआशा
वाह ! बहुत सुन्दर कविता है.. :)
ReplyDeleteसुन्दर कविता..बधाई !!
ReplyDeleteहम तो पहले से ही बच्चे हैं और इसे पढ़ कर तो यकीन भी गया है
ReplyDeleteबच्चे बनेंगें, तभी बारिश भी होगी...लाजवाब गीत.
ReplyDeleteदीनदयाल जी..यहां आज ही कुछ बारिश हुई है...और आज ही आपके ब्लाग पर ये कविता पढी...मैं और आगे कह दुं..."मम्मी-पापा खूब चिल्लाएं...बार-बार हम बाहर जाएं...भीग-भीग कर वापस आएं...सावन का यूं मज़ा उठाएं"
ReplyDeleteBahut khoob kahee hai apne. Badhayi.
ReplyDeleteबारिश का हम लुत्फ उठाएं।
ReplyDeleteसब मिलकर बच्चे बन जाएं।।
...फिर तो बहुत मजा आयेगा...
sundar rachna.Deendayal ji meri baby ko bahut achchi lagi.
ReplyDeleteनिराली है आपकी यह बाल-कविता..मस्त.
ReplyDelete_________________________
अब ''बाल-दुनिया'' पर भी बच्चों की बातें, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ, उनके ब्लॉगों की बातें , बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ और भी बहुत कुछ....आपकी भी रचनाओं का स्वागत है.
bahut achi kavita h.
ReplyDeletebahut sundar kavita hain jo sidhe man to chhoo leti hain.
ReplyDeleteraj
आप सभी का बहुत बहुत आभार।
ReplyDeleteआप सबका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद 🎉🎈🎉🎈🎉
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