प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Monday, July 26, 2010
दीनदयाल शर्मा की कविता "प्यारा कुत्ता "
प्यारा कुत्ता
मेरा प्यारा कुत्ता कालू ।
बालों से लगता है भालू ।।
प्यार करे तो पूँछ हिलाए ।
पैरों में लमलेट हो जाए ।।
दिन में सोता रहता हरदम ।
पूरी रात न लेता है दम ।।
खड़के से चौकस हो जाए ।
इधर-उधर नजरें दौड़ाए ।।
चोरों पर यह पड़ता भारी ।
सच्ची सजग है चौकीदारी ।।
4 comments:
रंजन (Ranjan)
July 26, 2010 at 6:32 PM
;)
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KALA GORA
July 27, 2010 at 6:17 AM
good one
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रचना दीक्षित
July 27, 2010 at 12:08 PM
पर लोग कहाँ समझते हैं
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KK Yadav
July 27, 2010 at 1:43 PM
बड़ा प्यारा कुत्ता है.....
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;)
ReplyDeletegood one
ReplyDeleteपर लोग कहाँ समझते हैं
ReplyDeleteबड़ा प्यारा कुत्ता है.....
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