प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Monday, August 2, 2010

नानी तूं है कैसी नानी / दीनदयाल शर्मा

नानी तूं है कैसी नानी
नहीं सुनाती नई कहानी।

नानी बोली प्यारे नाती
नई कहानी मुझे न आती।

मेरे पास तो वही कहानी
एक था राजा एक थी रानी।

नई बातें कहाँ से लाऊँ
तेरा मन कैसे बहलाऊँ।

तुम जानो कम्प्यूटर बानी
तुम हो ज्ञानी के भी ज्ञानी।

मैं तो हूँ बस तेरी नानी।
तुम्हीं सुनाओ कोई कहानी।।


6 comments:

  1. मुझे तो पसंद आई कहानी

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  2. bahut khoobsurat rachna.nani vishay per likhne ke liye badhai.

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  3. नानी की कविता बहुत सुन्दर है .

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  4. सुन्दर बाल गीत...बधाई.
    कभी 'डाकिया डाक लाया' पर भी आयें...

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  5. बहुत सुन्दर कविता....
    बच्चो निराश होने की बात नहीं है....
    कोई बात नहीं ....अगर नानी को नई कहानी नहीं आती....
    नानी से कहो कि अपने जीवनी के किसी भी वर्ष की कोई भी बात सुना दें....नानी की बातें भी किसी कहानी से कम नहीं होंगी !!!!

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