प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Saturday, August 14, 2010

2 शिशु कवितायेँ / दीनदयाल शर्मा

हाथी
हाथी आया हाथी आया
काला-काला हाथी आया।

सूंड हिलाता हाथी आया
कान हिलाता हाथी आया।

कितना मोटा ताज़ा है ये
इसकी थुलथुल-सी है काया।


कुत्ता
कुत्ता आया कुत्ता आया
भों-भों करता कुत्ता आया।

मेरे घर का रखवाला है
हम बच्चों के मन को भाया।

घर से बाहर घूमने जाऊँ
बना रहे यह मेरा साया।



1 comment:

  1. शर्मा जी आपके दोनों ही शिशुगीत बहुत बढ़िया हैं!
    मेरी 6 वर्ष की पौत्री को बहुत अच्छे लगे!

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