ओ चिड़िया तुम कितनी प्यारी ।
साधारण-सी शक्ल तुम्हारी ।।
चीं-चीं कर आँगन में आतीं ।
सब बच्चों के मन को भातीं ।।
भोली और लगतीं मासूम ।
जी करता तुमको लूँ चूम ।।
भाँति-भाँति के न्यारे-न्यारे ।
जीव-जंतु जहाँ रहते हैं सारे ।।
आपका घर हम सबको भाए ।
तभी तो चिड़िया घर कहलाए ।।
बेहतर पोस्ट
ReplyDeletePyaarii-sundar kavitaa.
ReplyDeleteचीं-चीं कर आँगन में आतीं ।
ReplyDeleteसब बच्चों के मन को भातीं ......
सच में चिड़िया बच्चों को बहुत अच्छी लगती है...
अगर आटे की चिड़िया से मिलने का मन हो तो शब्दों के उजाला आईएगा....पता तो मालूम ही होगा....
http://shabdonkaujala.blogspot.com
भाई-बहिन के पावन पर्व रक्षा बन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDelete--
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/255.html
रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्यारी कविता है!
rakshabandhan ki shubhkamnaen..
ReplyDeletekavita bahut pyari h...
बहुत सुन्दर..पसंद आई ..बधाई.
ReplyDelete______________________
"पाखी की दुनिया' में 'मैंने भी नारियल का फल पेड़ से तोडा ...'
बड़ी मासूम रचना है.....
ReplyDeletemn ko lubhaati,,, dulaartee,,
ReplyDeletesundar boloN se sajee
mn-mohak kavitaa .
w a a h !!