चिकोटियां - 2 / दीनदयाल शर्मा
कैसे बदले तकदीर
कैसे बदले तकदीर
लकीर का फ़कीर.
बिक गये बाट
रो कर दिन काट.
मिट गयी साख
जीवन खाक.
हाथ साफ़
जेब साफ़.
मत रह दंग
बदल लिया रंग.
गायब मनका
माथा ठनका.
गंवार के लिए ज्ञान सज़ा
भैंस के आगे बीन बजा.
साख है मनी
बात का धनी.
चला गया जेल
छिड़कता था तेल.
बात में खोटा
बेपेंदे का लोटा.
कंजूसों से चन्दा
अक्ल का अंधा.
ख़ुशी से मिलना
बत्तीसी खिलना.
रिएक्सन कर गई दवाई
उड़ने लगी हवाई.
कंजूस का खेल
बालू से तेल.
बढ़ गई राड़
राई का पहाड़.
कट गई चुटिया
डूब गई लुटिया.
बड़ा संकट छा गया
छठी का दूध याद आ गया.
हाथ में हाथ
चोली - दामन का साथ.
रहे दिल्ली
घास छिल्ली.
मुंह सी लिया
गुस्सा पी लिया..
अध्यक्ष
राजस्थान साहित्य परिषद्,
हनुमानगढ़ - 335512
09414514666
चिकोटियाँ तो बहुत ही बढ़िया है!
ReplyDeleteयह बड़ी चुटकीदार चिकोटियां हैं...... अंकल बड़ा मज़ा आया पढ़कर
ReplyDeleteखूब मजेदार...मजा आ गया.
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