प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Saturday, October 2, 2010

2 अक्टूबर ...गाँधी जयंती पर


गाँधी बाबा / दीनदयाल शर्मा 

गाँधी बाबा आ जाओ तुम
सुन लो मेरी पुकार,
भूल गये हैं यहाँ लोग सब,
प्रेम, मोहब्बत प्यार.

शांति, अमन और सत्य-अहिंसा
पाठ कौन सिखलाए ,
समय नहीं है पास किसी के,
कौन किसे बतियाए.
तुम आ जाओ गाँधी बाबा,
हो सबका उद्धार ....

मारकाट में शर्म न शंका,
कैसे हो गए लोग,
कैसा संक्रामक है देखो
घर - घर  फैला रोग,
दवा तुम्हीं दो गाँधी बाबा,
सबका मेटो खार.....

बन्दर तीनो मौन तुम्हारे,
इन पर भी दो ध्यान, 
कहीं हो जाए कुछ भी तीनो,
कभी न देते कान,
कहाँ मौन साधक बन बैठे,
मारो इक हुँकार..... 

4 comments:

  1. खुद सोचिये कि आज गाँधी के रस्ते पर चल कर कौनसा काम हो सकता है .... हा गाँधी के सहारे (नोटों के सहारे ) सब हो सकता है ...

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  2. जनाब दुनिया में …कम से कम भारत में तो सत्य और अहिंसा नहीं बची है ….. और रही बात गाँधी की तो गाँधी सिर्फ नोट पर ही रह गया है …

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  3. कितनी प्यारी कविता है.....

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