प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Tuesday, November 23, 2010

बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा की राजस्थानी बाल संस्मरण पोथी "बालपणे री बातां " पर परिचर्चा हुई ..परिचर्चा में साहित्यकारों ने पुस्तक पर अपने सटीक विचार व्यक्त किए .



Dainik Punjab Kesri 
Date 23 November 2010
Ganganagar - Hanumagarh Sanskarn.

3 comments:

  1. आपकी कृति पर हुई परिचर्चा के विषय में जानकर अच्छा लगा ... बधाई

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  2. बधाई आपको दीनदयाल अंकल

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  3. अच्छा लगा परिचर्चा के बारे में जानकार ! बधाई !

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