प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Thursday, March 10, 2011

होली / दीनदयाल शर्मा

होली / दीनदयाल शर्मा


रंगों का त्यौंहार जब आए
टाबर टोल़ी के मन भाए।

नीला पीला लाल गुलाबी
रंग आपस में खूब रचाए।


रंग की भर मारें पिचकारी
'होली है' का शोर मचाए।

सूरत सबकी एक-सी लगती
इक दूजा पहचान न पाए।

बुरा न माने इस दिन कोई
सारे  ही रंग में रच जाए।।


5 comments:

  1. छाने लगे हैं होली के रंग ..... सुंदर कविता

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  2. सुंदर कविता होली की .....

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  3. आप ने तो बिलकुल ..होली की रंग में रंग दी ! आप को होली की शुभ कामनाये !

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  4. रंगों का त्यौंहार जब आए
    टाबर टोल़ी के मन भाए
    सूरत सब की एक सी लगती
    इक दूजा पहचान न पाए

    होली की मनोहारी फुहार में भीगे
    खूबसूरत शब्द
    और
    खयालात के अनुपम रंगों से सजी
    खूबसूरत कविता ....
    वाह !!

    dkmuflis.blogspot.com

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  5. रंग की भर मारें पिचकारी
    'होली है' का शोर मचाए।
    आप को होली की शुभ कामनाये !

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