प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Wednesday, June 22, 2011

उदासी का कारण / दीनदयाल शर्मा


उदासी का कारण
पेड़ की उदासी देखकर लता ने उससे पूछा-'आज आप बहुत उदास हैं! क्या बात है साथी, बताओ ना !' पेड़ गंभीर होकर  बोला- सामने वाले लेखक का लड़का भी लिखने लग गया।
'तो इसमें गंभीर होने की क्या बात है! तुम्हें तो खुश होना चाहिए।' लता ने इठलाकर कहा। 
पेड़ लंबी सांस लेकर बोला-'यह भी अपने बाप की तरह कचरा लिखता है और इसे भी $िकताबें छपवाने की भूख है।'
'तो फिर तुम्हारा क्या लेता है!' लता बोली।
'तुम नहीं जानती लता....जब $िकताबें छपती हैं तो हमें बलिदान  देना पड़ता है।'

दीनदयाल शर्मा, 10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी, हनुमानगढ़ संगम-335512
0914514666, 09509542303

3 comments:

  1. एकदम सही बात!

    ReplyDelete
  2. अच्छी रचना के लिए आभार. हिंदी लेखन के क्षेत्र में आप द्वारा किये जा रहे प्रयास स्वागत योग्य हैं.
    आपको बताते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है की भारतीय ब्लॉग लेखक मंच की स्थापना ११ फरवरी २०११ को हुयी, हमारा मकसद था की हर भारतीय लेखक चाहे वह विश्व के किसी कोने में रहता हो, वह इस सामुदायिक ब्लॉग से जुड़कर हिंदी लेखन को बढ़ावा दे. साथ ही ब्लोगर भाइयों में प्रेम और सद्भावना की बात भी पैदा करे. आप सभी लोंगो के प्रेम व विश्वाश के बदौलत इस मंच ने अल्प समय में ही अभूतपूर्व सफलता अर्जित की है. आपसे अनुरोध है की समय निकलकर एक बार अवश्य इस मंच पर आये, यदि आपको मेरा प्रयास सार्थक लगे तो समर्थक बनकर अवश्य हौसला बुलंद करे. हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे. आप हमारे लेखक भी बन सकते है. पर नियमो का अनुसरण करना होगा.
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच

    ReplyDelete

हिन्दी में लिखिए