प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Monday, June 27, 2011

मुर्गे की सीख / दीनदयाल शर्मा



मुर्गे की सीख 

मुर्गा बोला नहीं जगाता
अब तुम जागो अपने आप ।
कितनी घड़ियाँ और मोबाइल
रखते हो तुम अनाप-शनाप ।

मैं भी जगता मोबाइल से
तुम्हें जगाना मुश्किल है
कब से जगा रहा हूँ तुमको
तू क्या मेरा मुवक्किल है ।

समय पे सोना, समय पे जगना
जो भी करेगा समय पे काम
समय बड़ा बलवान जगत में
समय करेगा उसका नाम ।
दीनदयाल शर्मा


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