गाँधी बाबा / दीनदयाल शर्मा
गाँधी बाबा आ जाओ तुम
सुन लो मेरी पुकार,
भूल गए हैं यहाँ लोग सब,
प्रेम, मोहब्बत प्यार ।
शांति, अमन और सत्य-अहिंसा
पाठ कौन सिखलाए ,
समय नहीं है पास किसी के,
कौन किसे बतियाए ,
तुम आ जाओ गाँधी बाबा,
हो सबका उद्धार ....
मारकाट में शर्म न शंका,
कैसे हो गए लोग,
कैसा संक्रामक है देखो
घर - घर फैला रोग,
दवा तुम्हीं दो गाँधी बाबा,
सबका मेटो खार.....
बन्दर तीनो मौन तुम्हारे,
इन पर भी दो ध्यान,
कहीं हो जाए कुछ भी तीनो,
कभी न देते कान,
कहाँ मौन साधक बन बैठे,
मारो इक हुँकार.....
- दीनदयाल शर्मा, 10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी, हनुमानगढ़ जं. - 335512
बहुत सुंदर रचना...बापू को नमन
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!
ReplyDeleteजय हिंद जय भारत
Sunder Kavita
ReplyDeleteसुन्दर रचना! शांति, अमन और सत्य-अहिंसा का मूल्य सदा बना रहेगा।
ReplyDeleteगांधी जी के विचारों के क्रियान्वन की आज बहुत ज़रूरत है..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteआपके आदेशानुसार चिड़िया पर बाल कविताएँ आपको भेज रहा हूँ . आपका ई - मेल न रहने से सीधे आपके ब्लाग पर---डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
ReplyDeleteचिड़िया पर बाल कविताएँ
==================
(1)
हुर्र - फुर्र
-डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
एक चिड़ैया
बड़ी गवैया
नाचा करती
ता ता थैया .
लेकिन जब मैं
करता हुर्र
वह झट से
उड़ जाती फुर्र
--
(2)
बोल चिरौटे,चूँ-चूँ,
-डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
चूँ-चूँ, चूँ-चूँ बोल चिरौटे,
चूँ-चूँ, चूँ-चूँ बोल!
देख चिडै़या लाई दाना,
कुटुर-कुटुर कर अब तू खाना।
लेकिन मुँह तो खोल चिरौटे,
लेकिन मुँह तो खोल!
बड़े हो रहे पंख तुम्हारे,
उड़ने की कोशिश कर प्यारे!
आसमान में डोल चिरौटे,
आसमान में डोल!
चिड़िया ने है दही जमाया,
उसे भगौने में रखवाया।
जल्दी ढक्कन खोल चिरौटे,
जल्दी ढक्कन खोल!
चूँ-चूँ, चूँ-चूँ बोल चिरौटे,
चूँ-चूँ, चूँ-चूँ बोल!
हार्दिक सम्मान सहित ,
भवदीय ,
डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
निकट रेलवे कालोनी , सुभाष नगर , शाहजहाँपुर- 242001. (उत्तर प्रदेश, भारत)
सुन्दर, अति सुन्दर, बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.