प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, December 4, 2011

हार्दिक श्रद्धांजलि


हार्दिक श्रद्धांजलि 

देवानंद हीरो थे जगत के
हरदम सदाबहार 
बच्चे , बूढ़े और जवां ने 
दिया था उनको प्यार

फ़िल्में उनको रखेंगी जिंदा 
बनी है बेशुमार 
छोड़ देह को चले गये वे
लेंगे नव अवतार..

दीनदयाल शर्मा
बाल साहित्यकार 



6 comments:

  1. हार्दिक श्रद्धांजलि...

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  2. हार्दिक श्रद्धांजलि!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! अधिक से अधिक पाठक आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो
    चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  3. सादर श्रद्धांजली....

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