प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Thursday, May 3, 2012
शेर
शेर दहाड़ा खूब जोर से,
अपना बल दिखलाया
सुनी दहाड़ सब जीवों ने, तब
सबका दिल घबराया.
थर थर लगे कांपने सारे,
सामने कोई न आया
अपनी ताकत के बल पर , वह
वन राजा कहलाया..
- दीनदयाल शर्मा
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