प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है
Saturday, November 8, 2014
अखबार ' नेशनल दुनिया ' के ' बच्चों की दुनिया ' स्तम्भ में दीनदयाल शर्मा
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