प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Friday, December 12, 2014

गाय / दीनदयाल शर्मा

हिंदी बाल गीत -

गाय / दीनदयाल शर्मा

सरल सहज सी गाय हमारी,
लगती हमको सबसे प्यारी।

कई रंगों की होती है यह,
गलकंबल की शोभा न्यारी।

सिर्फ दूध ही नहीं देती यह,
घी दही मक्खन देती भारी।

बछड़ा इसका बैल बने तब,
करे खेत की जुताई सारी।

देव करोड़ों का ये घर है,
इसको पूजें मिटे बीमारी।

वैद्य हकीम बतायें सारे,
इसकी सब चीजें गुणकारी।।



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