प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Thursday, December 11, 2014

कर्म / दीनदयाल शर्मा

हिन्दी बाल गीत -

कर्म / दीनदयाल शर्मा

सर सर सर सर हवाएं बहतीं
झर झर झर बहता झरना

हिम्मत जो रखता है हरदम
उसको किसी से क्या डरना

कड़ कड़ कड़ कड़ बिजली चमके
गड़ गड़ ओलों का गिरना

कायरता कमजोरी होती
उसको पड़ता है मरना

दड़बड़ दड़बड़ बच्चे दौड़े 
जीवन में है कुछ करना

जैसे कर्म करेंगे जग में 
पड़ेगा वैसा ही भरना....

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