प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, October 22, 2017

रंग रे दीनदयाल

रंग रे दीनदयाल

गढ हनुमाना में बसै, चावौ दीनदयाल।
भटनेरी इतिहास भट्ट, लाडक मां रौ लाल।।

'टाबर टोळी' सुप्रसिद्ध काढै छै अखबार।
सुधरै पीढी सांतरी, थळकण मुळकै थार।।

साहित री ले सीरणी, शर्मा दीनदयाल।
भावी पीढी रौ भविस, दमकै सूरज लाल।।

गीत, कविता अर कथा, टाबर मुळकण देत।
शर्मा दीनदयाल सा, हिंवड़ै राखै हेत।।

'टाबर टोळी' रंग में, आखर प्रीत अपार।
शर्मा दीनदयाल नित, सींचै कण-कण थार।।

कारटून अर बाळकथा, विध-विध रा समंचार।
'टाबर टोळी' नित नवी, रंग भटनेरी थार।।

म्हारौ व्हालौ मिंत औ रंग रे दीनदयाल।
साजौ राखै सुरसती, मां जगदम्ब रुखाळ।।

-डॉ.आईदानसिंह भाटी,
8-बी / 47 तिरुपतिनगर,
नांदड़ी, जोधपुर, राज.

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