प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, July 18, 2010

दीनदयाल शर्मा की बाल कविता-अकड़

अकड़ 
अकड़-अकड़ कर
क्यों चलते हो 
चूहे चिंटूराम,
ग़र बिल्ली ने 
देख लिया तो 
करेगी काम तमाम,

चूहा मुक्का तान कर बोला
नहीं डरूंगा दादी
मेरी भी अब हो गई है
इक बिल्ली से शादी।


6 comments:

  1. क्या बात कही....
    चूहे की शादी बिल्ली से....
    नए दौर में कुछ भी हो सकता है.....
    पहले बिल्ली के गले में घन्टी बाँधने का प्रयास किया....
    अब तो बात .....क्या कहना चुहे महाराज जी का....
    मज़ा आ गया....

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  2. बाल कविता बहुत ही सुन्दर रची है आपने!

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  3. ये बात पसंद आई चूहे कि बिल्ली से शादी. दुश्मन दुश्मन दोस्त जो हुए !!!!!!!!!!!!11

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  4. चूहे की बिल्ली से शादी ..मजा आ गया पढ़कर.
    ___________________
    'पाखी की दुनिया' में समीर अंकल के 'प्यारे-प्यारे पंछी' चूं-चूं कर रहे हैं...आप भी देखने आइये ना.

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  5. सुन्दर लेखन...बधाई.
    ********************
    'बाल-दुनिया' हेतु बच्चों से जुडी रचनाएँ, चित्र और बच्चों के बारे में जानकारियां आमंत्रित हैं. आप इसे hindi.literature@yahoo.com पर भेज सकते हैं.

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  6. हा हा!! बहुत मजेदार.

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