प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Wednesday, September 12, 2012

बाळपणै री बातां



हाल ही में केन्द्रीय साहित्य अकादेमी  , नई दिल्ली से राजस्थानी बाल साहित्य का सर्वोच्च अवार्ड -2012 के लिए इस किताब  ( बाळपणै री बातां ) पर पुरस्कार की घोषणा


पुस्तक : बाळपणै री बातां
लेखक : दीनदयाल शर्मा
भाषा : राजस्थानी
विधा : निबंध ( संस्मरण )
मूल्य : 200 रुपये (सजिल्द )
पृष्ठ : 112
प्रथम संस्करण : 2009
प्रकाशक : टाबर टोळी,
10 /22 आर. एच . बी.
 हनुमानगढ़ - 335512 , राजस्थान

 मोब. : 09509542303

4 comments:

  1. बहुत बहुत बधाई दीनदयाल जी ----एक भैंस की तस्वीर ने ब्लोगर बना दिया
    Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR - a surprise for you on my blog ---old memories.

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..राजेश कुमारी जी..

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  2. बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ
    :-)

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    1. बधाई और शुभकामनायें देने के लिए आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद रीना मौर्या जी...

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