प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Friday, August 8, 2014

दो शिशु गीत / दीनदयाल शर्मा



दो शिशु गीत / दीनदयाल शर्मा 




मेरा बस्ता 


मेरा बस्ता
भारी बस्ता
उठाऊं कैसे
हालत खस्ता..

आटा पाटा

आटा पाटा
कर तूं टाटा
रविवार को 

2 comments:

  1. मासूम सी कविता

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  2. पोस्ट किये गये चित्र ने मन मोह लिया.
    काशः आज बचपन का रूप ऐसा ही हो.

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